एक व्यक्ति कंपनी (ओपीसी) कैसे रजिस्ट्रेशन कराएं

एक व्यक्ति कंपनी (ओपीसी) वन परसन कंपनी की अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार भारतीय कंपनी कानून व्यवस्था में शामिल किया गया है।यह निजी कंपनी संरचना के समान ही एक नई निजी कंपनी की अवधारणा है।

ओपीसी क्यों बनाना चाहिए

वन परसन कंपनी का गठन केवल एक ही व्यक्ति के द्वारा किया जा सकता है। वही सदस्य, शेयरहोल्डर एवं निदेशक भी बन सकता है। उसके द्वारा अपनी ओपीसी में अधिकतम 15 निदेशक भी नियुक्त किए जा सकते हैं।

एक व्यक्ति कंपनी की अवधारणा को प्रारंभ करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि नवयुवा उद्यमी अकेले ही अपने व्यावसायिक उद्यम में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित हो सकें।

इस ओपीसी में बहुत कम कानूनी अनुपालन की आवश्यकताएं होता हैं। इसलिए कम परेशानी होती है।

ओपीसी एक कानूनी संरचना है, इसलिए आवश्यकता होने पर यह बहुत आसानी से बैंक एवं मार्केट से लोन (ऋण) प्राप्त कर सकती है। ओपीसी की देयता केवल व्यावसायिक संपत्तियों तक ही सीमित होती है।

ओपीसी पंजीयन के लिए अनिवार्य आवश्यकताएँ

आप प्रमोटर (प्रवर्तक) हैं तो आप ओपीसी पंजीयन के पूर्व यह सुनिश्चित कर लेंवे की कंपनी अधिनियम के अनुसार आप इसके लिए पात्र हैं अथवा नहीं ।

एक जीवित व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है, भारत में निवासी है, (यानी उस वर्ष वह भारत में 182 दिन से अधिक रहा हो), वह ओपीसी स्थापित कर सकता है।
मतलब यह कि कंपनी या एलएलपी जैसी कानूनी संस्थाएं ओपीसी का गठन नहीं कर सकती हैं।

कोई भी कॉर्पोरेट इकाई किसी ओपीसी के स्वामी (शेयरधारक) के रूप में शामिल नहीं हो सकती हैं। ओपीसी किसी भी निकाय कॉर्पोरेट की प्रतिभूतियों में निवेश सहित गैर-बैंकिंग वित्तीय निवेश गतिविधियों को नहीं कर सकती है।

यानि वित्तीय गतिविधियों में शामिल व्यवसायों को आप ओपीसी के रूप में संचालित नहीं कर सकते हैं। आप एक समय में एक से अधिक ओपीसी में शामिल नहीं हो सकते हैं।

ओपीसी को स्थापित करने के लिए न्यूनतम शेयर पूंजी ₹1,00,000 एक लाख की आवश्यकता होती है। किसी ओपीसी की अधिकतम पूंजी ₹50 लाख तक हो सकती है।

ओपीसी का औसत कारोबार गठन की तारीख से 3 साल की अवधि के लिए ₹ 2 करोड़ या उससे अधिक नहीं होना चाहिए।

उपरोक्तानुसार दोनों में से किसी भी एक के अधिकतम सीमा पार करने की स्थिति में ओपीसी को निजी प्राइवेट कंपनीया सार्वजनिक कंपनी में परिवर्तित करना आवश्यक हो जाता है।

वन पर्सन कंपनी को पंजीकरण की तारीख से दो साल तक किसी भी भागीदार (शेयरधारक) को लेने की अनुमति नहीं होती है। दो साल के बाद, एक शेयरधारक को जोड़कर ओपीसी को एक नियमित निजी सीमित कंपनी में परिवर्तित किया जा सकता है।

ओपीसी बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • अवयस्क (नाबालिग) व्यक्ति ओपीसी में सदस्य या नामित होने के लिए पात्र नहीं है।
  • प्रस्तावित कंपनी का नाम कंपनी अधिनियम 2013 के तहत कंपनी के नाम उपलब्धता दिशानिर्देशों का पालन करता हो।
  • आपको ओपीसी में अपने पंजीकृत कंपनी कार्यालय या व्यवसाय के प्रमुख स्थान का अधिकारिक पता पंजीकृत करना अनिवार्य होता है।
  • इस पंजीकृत पते का उपयोग समस्त संचार के लिए किया जाता है।
  • ओपीसी का अस्तित्व निरंतर बना रहता है। शेयरहोल्डर की मृत्यु या अक्षमता की स्थिति में वह नामांकित निदेशक के पास आ जाती है

ओपीसी में नॉमिनी बनाना

कंपनी में केवल एक ही व्यक्ति निदेशक और  सदस्य है। इसलिए इस व्यक्ति की ओर से एक व्यक्ति को नामित नियुक्त किया जाता है।

शेयरहोल्डर के किसी कारणवश अक्षम हो जाने पर वह अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकता है या मृत्यु होने की स्थिति में नामांकित व्यक्ति उसकी जगह काम कर सकता है।

1. सहमति की वापसी

नामांकित व्यक्ति अपनी सहमति को वापस ले सकता है। इस स्थिति में आपको वापसी नोटिस के15 दिनों केअंदर अन्य सदस्य को नामित करना होगा।

निर्धारित फार्म में लिखित सहमति के माध्यम से नए कर्मियों का नामांकन कंपनी को सूचित किया जाना चाहिए।

कंपनी को रजिस्ट्रार के साथ नए नामांकित व्यक्ति की सूचना के साथ सहमति की वापसी की सूचना दर्ज करने की आवश्यकता है।

2. नामांकित व्यक्ति का परिवर्तन

आपको किसी भी कारण से कंपनी के नामित को बदलने का अधिकार है। आप लिखित नोटिस देकर  नए व्यक्ति को नामांकित कर सकते हैं।

इसके लिए नए नामित की सहमति सहित बदलाव की सूचना  30 दिनों के भीतर, लागू शुल्क के साथ रजिस्ट्रार को दर्ज करनी होगी।

3. नामांकित की नियुक्ति

शेयरहोल्डर की अक्षमता या मृत्यु की स्थिति में नामित व्यक्ति के प्रभारी नियुक्त होने पर नए सदस्य को प्रतिस्थापन के रूप में किसी अन्य व्यक्ति को नामित नियुक्त करना होगा।

दंड का प्रावधान

यदि ओपीसी का कोई अधिकारी निर्दिष्ट नियमों का अनुपालन नहीं करता है, तो इकाई या अधिकारी को दंड  भुगतान करना होगा। यह ₹10,000 तक हो सकता है।

इसके अलावा, प्रत्येक दिन डिफ़ॉल्ट के लिए जुर्माना ₹1,000 बढ़ाया जाएगा।

ओपीसी पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज

शेयरधारक, नामांकित शेयरधारक और निदेशक (ओं) के पहचान प्रमाण और नवीनतम पता प्रमाण ।

स्वीकार्य दस्तावेज़ इस प्रकार हैं।

प्राथमिक आईडी – स्थायी खाता संख्या (पैन)

अतिरिक्त आईडी – आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस या मतदाता पहचान पत्र।

नवीनतम पता प्रमाण : टेलीफोन या बिजली का बिल बैंक स्टेटमेंट या नवीनतम प्रविष्टियों के साथ बैंक पासबुक।

अतिरिक्त दस्तावेज़

नामित निदेशक द्वारा नामित के रूप में कार्य करने के लिए सहमति पत्र।

डीआइएन की घोषणा (यदि DIN पहले से आवंटित है) क्षेत्रीय विनियामक अनुपालन के लिए घोषणा

  1. पंजीकृत कार्यालय का पता
  2. पते का सबूत
  3. संपत्ति के मालिक से अनापत्ति पत्र

एक व्यक्ति कंपनी (ओपीसी) पंजीकरण की प्रक्रिया

एक-व्यक्ति कंपनी के पंजीकरण की चरण दर चरण प्रक्रिया  इस प्रकार है। ओपीसी पंजीकरण की संपूर्ण प्रक्रिया आनलाइन ही होती है।

इसलिए ओपीसी पंजीकरण हेतु सभी ऑनलाइन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रस्तावित निदेशक (आपके) के डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट डीएससी की आवश्यकता होगी।

डिजिटल हस्ताक्षर प्राप्त करना

डीएससी सरकार द्वारा प्रमाणित अधिकृत एजेंसी से ही प्राप्त करना चाहिए।

डिजिटल हस्ताक्षर जारी करने के लिए नियंत्रक प्राधिकरण ने ई-मुद्रा eMudhra, (एन) कोड सॉल्यूशंस, नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर, सफ़रक्रिप्ट एवं  इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी को अधिकृत किया है।

इसके लिए आपको निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।

  • आपका आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • पते का सबूत
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • ईमेल आईडी
  • फ़ोन नंबर

डीएससी का शुल्क सभी एजेंसियों का अलग-अलग होता है। डीएससी एक दो दिन में प्राप्त हो जाता है। आधार कार्ड वेरिफिकेशन विधि से तो इसे तुरंत या उसी दिन प्राप्त किया जा सकता है।

डायरेक्टर आइडेंटीफिकेशन नंबर (डीआईएन) प्राप्त करना।

डीएससी बन जाने के बाद, अगले चरण में आपको प्रस्तावित डायरेक्टर (आपका) का  दीन डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) प्राप्त करना होगा।

निदेशक जब कंपनी से संबंधित कोई भी आवेदन कानूनी जानकारी एवं रिटर्न जमा करते हैं तो उन्हें अपने हस्ताक्षर के नीचे अपने डीआईएन का उल्लेख करना होता है।

डीआईएन प्राप्त करने के लिए आवेदन कारपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट एमसीए 21 पोर्टल (http://www.mca.gov.in/mcafoportal/login.do) पर करना चाहिए।

इसके लिए आपको एसपीआईसीई फॉर्म SPICe फार्म में आनलाइन डिजिटली हस्ताक्षर के साथ अपलोड करना होगा। डीआईएन आवेदन के लिए एसपीआईसीई फॉर्म के साथ पहचान पत्र और पते का सबूत भीअपलोड करना होगा।

इस फॉर्म में अधिकतम तीन निदेशकों के लिए आवेदन किया जा सकता है फॉर्म स्वीकृत होने के बाद ही आवेदक को डीआईएन आवंटित किया जाता है।

निदेशक पहचान संख्या डीआयएन (DIN) केंद्र सरकार द्वारा आवंटित  की जाती है। यह एक 8 अंकों की एक अद्वितीय संख्या है।

इसके द्वारा निदेशकों की पहचान की जा सकती है। इसकी आजीवन वैधता रहती है।

डायरेक्टर आइडेंटीफिकेशन नंबर की सहायता से, सभी निदेशकों की जानकारी का एक डेटाबेस बनाकर रखा जाता है।

डीआईएन का उल्लेख कंपनी की कानूनी जानकारी एवं रिटर्न पर हस्ताक्षर करने वाले निदेशक की पहचान के लिए उपयोग किया जाता है।

नाम अनुमोदन आवेदन

ओपीसी पंजीकरण के लिए अगला चरण कंपनी के नाम पर निर्णय लेना है।

सुझाया गया नाम नामकरण मानकों के अनुरूप होना चाहिए। कंपनी के इस नाम के साथ (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड” जुड़ा हुआ होना चाहिए।

आप अपनी कम्पनी का जो नाम रखना चाहते है,  वह नाम पहले से रजिस्टर्ड तो नहीं है, यह सुनिश्चित करने के लिए

नई वन पर्सन कंपनी का नाम रखने के दो तरीके हैं।

1. रिजर्व यूनिक नेम (RUN ) के द्वारा

कंपनी के नाम को आरक्षित करने के लिए एक आसान और वेब-आधारित एप्लिकेशन है।

आरयूएन प्रक्रिया के तहत अनुमोदित नाम अनुमोदन की तारीख से 20 दिनों की अवधि के लिए वैध रहता है।

RUN प्रक्रिया के तहत एक आवेदन में, अनुमोदन के लिए दो नाम प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

यदि आवेदन अस्वीकार कर दिया जाता है, तो एक बार फिर से और दो नाम जमा किए जा सकते हैं। वे भी अस्वीकृत होने पर आवेदन रद्द हो जाता है।

पुनः नए सिरे से एक नया आवेदन नए शुल्क तथा दो नाम के साथ किया जा सकता है।

2. एसपीआईसीई फॉर्म द्वारा आवेदन करना

SPICe फार्म एसपीआईसीई फॉर्म (कंपनी को इलेक्ट्रॉनिक रूप से निगमित करने के लिए सरलीकृत प्रोफार्मा) एप्लिकेशन है।

यह एक एकीकृत एकल बिंदु आवेदन है। इसमें एक साथ 1)कंपनी के नाम का आरक्षण 2)निदेशकों के लिए डीआईएन का आवंटन 3) नई कंपनी के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) एवं 4 ) कर संग्रह और कटौती के आवंटन के लिए टैन नंबर के लिए आवेदन किया जा सकता है ।

SPICe आवेदन के तहत, केवल एक नाम अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है।

एमसीए द्वारा नाम को मंजूरी मिलने के बाद ही आपका अगले चरण कार्य शुरू किया जा सकता है।

नोट:- आप डिजिटल सिग्नेचर आवेदन के समानांतर, नाम आरक्षण के लिए आवेदन भी एमसीए को प्रस्तुत कर  सकते हैं। नाम आवेदन के लिए डीएससी जरूरी नहीं है।

आवश्यक दस्तावेज तैयार करना

रजिस्ट्रार आफ कंपनीज को प्रस्तुत करने के लिए आपको निम्न दस्तावेज तैयार करने होंगे।

संस्था के बहिर्नियम स्थापन प्रलेख ( मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन) (MoA) कंपनी द्वारा अनुसरण किए जाने वाली सामग्री।

इसमें व्यवसाय के विवरण एवं उद्देश्य जिनके लिए कंपनी का गठन किया जा रहा है बताए जाते हैं।

संस्था के अंतर्नियम आर्टिकल आफ  एसोसिएशन (एओए)  संस्था का संविधान जिस पर कंपनी काम करेगी। इसे कंपनी का यूजर मेनुअल भी कह सकते हैं

ओपीसी के गठन हेतु आपको ज्ञापन लेख में नामित व्यक्ति का नाम बताना आवश्यक है, दस्तावेजों में नामिती की लिखित सहमति संलग्न करना होगा

नामित व्यक्ति की सहमति उसके पैन कार्ड और आधार कार्ड के साथ ली जाएगी।

पंजीकृत कार्यालय का प्रमाण प्रस्तावित कंपनी के स्वामित्व के प्रमाण के साथ और मालिक से एक एनओसी के साथ लिया जाएगा।

शेयरहोल्डर द्वारा एक घोषणा कि सभी अनुपालन किए गए हैं।

स्वामित्व के प्रमाण के साथ प्रस्तावित कंपनी के पंजीकृत कार्यालय का प्रमाण और मालिक से एक एनओसी।

एमसीए के साथ फॉर्म दाखिल करना

सभी दस्तावेज स्वामी और निदेशक के डीएससी के साथ संलग्न कर अनुमोदन हेतु एमसीए साइट पर अपलोड किए जाएंगे।

ये हैं एसपीआईसीई फॉर्म, एसपीआईसीई-एमओए और एसपीआईसीई-एओए।

अपलोड करने के बाद, प्रस्तावित 49A और 49B कंपनी के पैन और टैन  के दस्तावेज उत्पन्न होंगे जिन्हें भी प्रस्तावित निदेशक के डीएससी से अटैच कर एमसीए साइट में अपलोड किया जाना है।

निगमन का प्रमाण पत्र जारी होना

सत्यापन करने पर, कंपनियों के रजिस्ट्रार (आरओसी) निगमन का प्रमाण पत्र जारी करेंगे और हम अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (सीआरसी) द्वारा दस्तावेज सत्यापन के बाद आवेदन की पुष्टि की जाती है

यदि दस्तावेज क्रम में हैं, तो केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज कंपनी को पंजीकृत करेगी और निम्नलिखित जारी करेगी:

1. कंपनी निगमन प्रमाण पत्र

2. निदेशकों के लिए डीआईएन

3.  पैन (स्थायी खाता संख्या)

4. टैन (नंबर कंपनी का कर संग्रह और कटौती संख्या) इसके पश्चात आप व्यवसाय प्रारंभ कर सकते हैं।

व्यवसाय का प्रारंभ

अपनी ओपीसी के नाम से बैंक में चालू खाता खोलें। इसमें कंपनी के एमओए में उल्लेख अनुसार राशि जमा करवाएं।

एक बार, इक्विटी पूंजी बैंक के चालू खाते में डाली जाती है।  कंपनी MCA के साथ कारोबार शुरू करने के लिए फाइल कर सकती है।  दंड से बचने के लिए 180 दिनों के निगमन के साथ व्यावसायिक प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाना चाहिए।

आखिर में, पंजीकृत कार्यालय की सूचना जो निगमन के दौरान दर्ज नहीं की गई थी, उसे निगमन के बाद 30 दिनों के अंदर दायर करवाया जाना चाहिए।

इसे दाखिल करने हेतु आवश्यक दस्तावेज किराए की रसीदों के साथ लीज डीड या रेंट एग्रीमेंट।उपयोगिता बिल की कापी जो  2 महीने से अधिक पुरानी नहीं हो।

यदि वह किसी अन्य संस्था या व्यक्ति के स्वामित्व में है एवं कंपनी द्वारा लीज पर नहीं लिया गया है।

तो एक प्रमाणपत्र कि ओपीसी को पंजीकृत कार्यालय के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी जाती है।

आप स्वयं ओपीसी पंजीकरण का कार्य कर सकते हैं। परंतु यह कार्य थोड़ा क्लिष्ट है इसलिए हम आपको यह सलाह देते हैं कि आप इसे किसी प्रोफेश्नल से करवाएं।

बाजार में ऐसी बहुत सी व्यवसायिक संस्थाएं उपलब्ध हैं जो शुल्क लेकर यह कार्य करती हैं।

नोट :- ज्ञापन एसोसिएशन (एमओए) एसोसिएशन के लेख (एओए) एसपीआईसी ई-फॉर्म की शुरुआत के साथ, आवेदक को अब एमओए और एओए की सॉफ्ट कॉपी दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है।

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यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट्स कर अवश्य बताएं ओपीसी के संबंध में आपको कुछ पूछना है तो कमेंट्स में लिखें। धन्यवाद

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